बेहद कम समय में, हमारीवाणी की लोकप्रियता निश्चय ही चौंकाने वाली रही है ! लाखों इंडियन ब्लोग्स के बीच हमारीवाणी का भारत में अलेक्सा रैंक ७१२५ है, तुलना करने के लिए, मेरे अपने ब्लॉग मेरे गीत का रैंक ४०७९७ है :-(
इस नवोदित एग्रीगेटर की बढती लोकप्रियता और शानदार रैंक, हिंदी ब्लॉग जगत के लिए एक सुखद खबर है कि ब्लोगवाणी और चिटठा जगत के बाद अंततः एक अच्छा एग्रीगेटर मिल गया है !
ब्लॉग एग्रीगेटर की उपयोगिता के बारे में मेरा यह मानना है कि ब्लॉग अग्रीगेटर, नए ब्लोगर के लिए बेहद आवश्यक रहता है ! एक अच्छे अग्रीगेटर के अभाव में नए ब्लोगर की पोस्ट पढ़ पाना या जानकारी लेना लगभग असंभव ही है ! पाठकों और उनकी प्रतिक्रियाओं के अभाव में बेहतरीन लेख़क भी दम तोड़ते नज़र आते हैं ! यह केवल ब्लॉग अग्रीगेटर ही हैं जिनकी वदौलत, कम समय में ही लोग एक नवोदित लेख़क को पहचानने में समर्थ हो जाते हैं ! जहाँ एक स्थापित ब्लोगर के लिए एग्रीगेटर का अधिक महत्व नहीं है वहीँ नए लेख़क के लिए यह सुविधा रेगिस्तान में अचानक पानी मिलने के समान है !
ज्वलंत समस्या यह है कि एक एग्रीगेटर चलाने का खर्चा, अभी तक व्यवस्थापक व्यक्तिगत तौर पर उठाते रहे हैं ! मेरा यह सुझाव है कि टीम हमारीवाणी एक स्वेच्छिक अनुदान लेने की परिपाटी शुरू करने की पहल करे ! मुझे विश्वास है कि इससे कम से कम इसकी स्थापना तथा देखरेख का खर्चा तो निकल ही आना चाहिए ! आशा है इस बारे में हमारीवाणी अपनी पॉलिसी की घोषणा शीघ्र करेगी !
अंत में, सबके साथ बिना भेदभाव काम करने की अपेक्षा के साथ ,हमारीवाणी को लम्बी उम्र की शुभकामनायें देता हूँ !
इस नवोदित एग्रीगेटर की बढती लोकप्रियता और शानदार रैंक, हिंदी ब्लॉग जगत के लिए एक सुखद खबर है कि ब्लोगवाणी और चिटठा जगत के बाद अंततः एक अच्छा एग्रीगेटर मिल गया है !
ब्लॉग एग्रीगेटर की उपयोगिता के बारे में मेरा यह मानना है कि ब्लॉग अग्रीगेटर, नए ब्लोगर के लिए बेहद आवश्यक रहता है ! एक अच्छे अग्रीगेटर के अभाव में नए ब्लोगर की पोस्ट पढ़ पाना या जानकारी लेना लगभग असंभव ही है ! पाठकों और उनकी प्रतिक्रियाओं के अभाव में बेहतरीन लेख़क भी दम तोड़ते नज़र आते हैं ! यह केवल ब्लॉग अग्रीगेटर ही हैं जिनकी वदौलत, कम समय में ही लोग एक नवोदित लेख़क को पहचानने में समर्थ हो जाते हैं ! जहाँ एक स्थापित ब्लोगर के लिए एग्रीगेटर का अधिक महत्व नहीं है वहीँ नए लेख़क के लिए यह सुविधा रेगिस्तान में अचानक पानी मिलने के समान है !
ज्वलंत समस्या यह है कि एक एग्रीगेटर चलाने का खर्चा, अभी तक व्यवस्थापक व्यक्तिगत तौर पर उठाते रहे हैं ! मेरा यह सुझाव है कि टीम हमारीवाणी एक स्वेच्छिक अनुदान लेने की परिपाटी शुरू करने की पहल करे ! मुझे विश्वास है कि इससे कम से कम इसकी स्थापना तथा देखरेख का खर्चा तो निकल ही आना चाहिए ! आशा है इस बारे में हमारीवाणी अपनी पॉलिसी की घोषणा शीघ्र करेगी !
अंत में, सबके साथ बिना भेदभाव काम करने की अपेक्षा के साथ ,हमारीवाणी को लम्बी उम्र की शुभकामनायें देता हूँ !
हमारीवाणी और टीम हमारीवाणी को हमारी ओर से भी हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंबधाई व शुभकामनाएं .... ’हमारीवाणी’ विश्ववाणी बनें..!
जवाब देंहटाएंआपको व समस्त हमारीवाणी टीम को हार्दिक शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंहमारी वाणी के सदस्यों के सहयोग के लिये उनकी आभारी हूँ जो एक मेल करने पर ही समस्या का समाधान भी करते हैं फिर फोन कर के पूछते भी हैं कि उनकी समस्या हाल हुई? धन्यवाद हमारी वाणी की सम्स्त टीम सद्स्यों को। हार्दिक शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंसतीश जी,
जवाब देंहटाएंहमारीवाणी निश्चय ही दीर्घजीवी होगी। असहयोग तो असीम होता है। हमारी वाणी को कुछ लोगों का भी सहयोग मिलता रहा तो यह निरंतर बनी रहेगी। बेहतर से बेहतर होती जाएगी।
सतीश भाई,
जवाब देंहटाएंआपका सुझाव बहुत अच्छा है...अभी हमारीवाणी से एक हज़ार के करीब ब्लॉग ही जुड़े हैं..ज़्यादा ब्लॉग जुड़ेंगे तो बैंडविड्थ जैसी समस्याएं आनी शुरू होती हैं...उसे बढ़ाने के लिए खर्चा भी करना पड़ता है...बेहतर यही है कि आपके
सुझाव पर गंभीरता से विचार किया जाए...ये डोनेशन अपनी इच्छा अनुसार होना चाहिए...चाहे वो कितना भी छोटा क्यों न हो...इससे सब ब्लॉगर्स में भी सहकार और ज़िम्मेदारी का एहसास रहेगा...ये कोई बाध्यता नहीं है, जो नहीं भी देता, उसे भी हमारीवाणी की सेवाएं निर्बाध रूप से मिलती रहेंगी...
लखनऊ के एक साइबर कैफे से टिप्पणी दे रहा हूं...यहां शादी में आया हुआ हूं...अपने हीरो महफूज़ अली तो गोली
देकर गायब हैं..जनाब खुद दिल्ली में हैं...मेरे साथ दिक्कत ये है कि लखनऊ में और किसी ब्लॉगर का मेरे पास फोन नंबर ही नहीं है, जिससे उनसे संपर्क कर सकता...अब महफूज़ मियां शाम तक (अगर फिर गोली न दे रहे हों) लखनऊ लौंटेंगे, तभी रविंद्र प्रभात जी, जाकिर अली रजनीश भाई से मिलने का शायद मौका मिल पाएगा...
जय हिंद...
हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंचलिए अच्छा है कि एक ऐसे एग्रीगेटर के समर्थन में इतने लोग आ रहे हैं। वर्ना एक समय था, जब लोग यही पूछते फिर रहे थे कि इसका मालिक कौन है, इसके पीछे किसका हाथ है वगैरह-वगैरह।
जवाब देंहटाएंकहीं ये तथाकथित रूप से 'हमारीवाणी' के समर्थन में लिखी गयी मेरी पोस्ट का नतीजा तो नहीं! :)
एग्रीगेटर नि-संदेह ब्लॉग जगत की जरूरत है, और हर संभव तरीके से उसका समर्थन भी किया जाना चाहिए, लेकिन पूर्व की भांति चोर दरवाजों से किसी व्यक्ति को अनुचित फायदा न पहुंचाया जाए, इसका भी ध्यान रखा जाना चाहिए।
आशा करता हूँ कि 'हमारीवाणी' हम सबकी अपेक्षाओं पर खरी उतरेगी।
सतीश जी,
जवाब देंहटाएंहमारीवाणी और टीम हमारीवाणी को हमारी ओर से भी हार्दिक बधाइयाँ ..
जय हिंद...
सफ़लता की बुलंदियों को हासिल करने की कामना के साथ...बधाई.
जवाब देंहटाएंसतीश जी एक समस्या है जब भभमारी वाणी पर लागिन करती हूँ तो नही होता। हमारी वाणी ने इसके लिये एक पास वर्ड और आई डी भी भेजी उस पर लागिन किया तब भी नही हुआ। अब हमारी वाणी को मेल की तो मैल डिलिवरी फेल आ रही है क्या मार्ग दर्शन करेंगे? धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंफलो फूलो.
जवाब देंहटाएंसतीश जी की पोस्ट पर बेनामी कमेंट क्यों ?
जवाब देंहटाएं@ आदरणीय सतीश जी ! आपने कल मुझसे चाहा कि मैं बेनामी कमेँट पब्लिश न किया करूं लेकिन खुद आपकी पोस्ट पर एक बेनामी हमारी वाणी के ख़ैरख़्वाहों को इल्ज़ाम दे रहा है , ऐसा क्यों ?
हमारीवाणी टीम को ढेरों शुभकामनाएं....
जवाब देंहटाएंबिना भेदभाव काम करने की अपेक्षा के साथ 'हमारीवाणी' को लम्बी उम्र की शुभकामनायें देते हैं !
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंस्वागत है, हमारीवाणी टीम !
सतीश जी और खुशदीप के सुझाव से सहमत !
पर मेरा एक सुझाव है कि, यदि एक समान दर पर अनिवार्य वार्षिक सदस्यता शुल्क रख दिया जाये.. वह अधिक बेहतर होगा !
वर्तमान में यदि एक हज़ार सदस्य हैं, तो रु.21 या रु. 51 की साँकेतिक सदस्यता शुल्क 21 या 51 हज़ार एकत्र कर सकती है, यह राशि एक वेबसाइट चलाने के लिये सामान्य से कुछ अधिक ही है ! स्वैच्छिक अनुदान में ख़ामी यह है कि, या तो यह बीरबल की उक्ति साबित होगी, तालाब खाली ही रह जायेगी, या फिर उदारमना सहयोगदाता की सहयोग राशि के आधार पर सदस्यों में स्वतः ही वरीयता क्रम बनना आरँभ हो जायेगा.. जो दूरगामी स्थितियों में कलह और कब्ज़े का कारण बनेगा । वैसे श्री दिनेशराय द्विवेदी जी को जो विकल्प स्वीकृत हो, मुझे मान्य होगा ।
अनवर जमाल जी,
जवाब देंहटाएंइस ब्लॉग की सेटिंग टीम हमारी वाणी ने की इसलिए इस पर अभी तक बेनामी का ऑप्शन खुला था, लेकिन आपकी शिकायत के बाद बंद किया जा रहा है. साथ ही बेनामी टिप्पणियों को समाप्त किया जा रहा है, आगे से जिसको भी टिपण्णी करनी है कृपया अपने नाम से करें. आशा है सभी इसे अन्यथा नहीं लेंगे.
सहयोग के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद!
टीम हमारीवाणी
निर्मला कपिला जी,
जवाब देंहटाएंआपका अकाउंट ठीक से काम कर रहा है, आप लोगिन कर सकती हैं.
टीम हमारीवाणी
अच्छा सुझाव , बिना एग्रेगेटर के नए छोड़ पुराने ब्लोगर्स की नई रचनाओं तक पहुंचना भी मुश्किल हो जाता है ...बहुत अच्छा प्रयास है , ब्लॉग वाणी और चिटठा जगत के बंद हो जाने पर कितने ही दिन ब्लॉग पर कुछ लिखने का मन ही नहीं होता था ...अभी भी मेरी रचनाएँ हमारीवाणी पर पब्लिश नहीं हो पा रहीं ...मगर मैं पढ़ तो पा रही हूँ ...धन्यवाद ...
जवाब देंहटाएंमैं भी इसे जीते रहने की शुभकामनायें देता हूं।
जवाब देंहटाएंवैसे मैंने कभी भी इसका इस्तेमाल नहीं किया है।
हमारीवाणी टीम को हार्दिक शुभकामनायें ....
जवाब देंहटाएंहमारीवाणी और टीम हमारीवाणी को हमारी ओर से भी हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंregards
बधाई व शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंहमारी वाणी तो बहुत दिनों से ही बेहतर काम कर रहा था.:-(
जवाब देंहटाएं.
टीम हमारीवाणी @ मैं इस टीम से यह अवश्य जानना चाहूँगा क्या सच मैं हमारी वाणी को किसी प्रकार के अनुदान कि आवश्यकता है? यदि हाँ तो इसे पंजीकृत करते समय ही बता दिया जाए. और यदि आवश्यकता नहीं तो ऐसे मशविरे मार्गदर्शक मंडल पहले आपस मैं करे और बाद मैं ज़ाहिर किया जाए.
.
पहले वाली टिप्पणी typing कि ग़लती के कारण निकाल दी है.
आपको व समस्त हमारीवाणी टीम को हार्दिक शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएं@ टीम हमारी वाणी ,
डॉ अमर कुमार के सुझाव से मैं भी सहमत हूँ ..आप लोग विचार कर जो फैसला लेंगे मुझे मंज़ूर है ! एक अनुरोध और निर्मला जी अथवा अन्य लोगों की समस्या सुलझाने में भी मदद कर पायें तो बहुत सुखद होगा !
आपको व समस्त हमारीवाणी टीम को हार्दिक शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंआपको व समस्त हमारीवाणी टीम को हार्दिक शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंहमारीवाणी का आना नि:संदेह स्वागतयोग्य है। एग्रीगेटर की समस्या का हल मिलता लग रहा है। शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंमीडियोकर्मियों को संबोधित करते हुए हिन्दी ब्लॉगिग कार्यशाला में अविनाश वाचस्पति ने जो कहा
हमारीवाणी टीम को बहुत बहुत धन्यवाद और आगे के लिए शुभकामनाएँ। किसी भी तरह के सहयोग के लिए मैं भी तैयार हूँ जी। यदि कोई भी ब्लॉगर महानुभाव एग्रीगेटर के लिए होने वाले खर्च का डिटेल प्राप्त कर उसे पब्लिश करें तो इस काम में और आसानी और ट्रांस्पेरेंसी आ जाएगी। और ब्लॉगरों के लिए स्टेज हमेशा सजा रहेगा।
जवाब देंहटाएंशुभकामना तथा आभार
जवाब देंहटाएंmere aur se shubhkamnayen........:)
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएं26 जनवरी पर एक ख़ास अपील
जवाब देंहटाएंकुदरत क़ानून की पाबंद है लेकिन इंसान क़ानून की पाबंदी को अपने लिए लाज़िम नहीं मानता। इंसान जिस चीज़ के बारे में अच्छी तरह जानता है कि वे चीज़ें उसे नुक्सान देंगी। वह उन्हें तब भी इस्तेमाल करता है। गुटखा, तंबाकू और शराब जैसी चीज़ों की गिनती ऐसी ही चीज़ों में होती है। दहेज लेने देने और ब्याज लेने देने को भी इंसान नुक्सानदेह मानता है लेकिन इन जैसी घृणित परंपराओं में भी कोई कमी नहीं आ रही है बल्कि ये रोज़ ब रोज़ बढ़ती ही जा रही हैं। हम अपनी सेहत और अपने समाज के प्रति किसी उसूल को सामूहिक रूप से नहीं अपना पाए हैं। यही ग़ैर ज़िम्मेदारी हमारी क़ानून और प्रशासन व्यवस्था को लेकर है। आये दिन हड़ताल करना, रोड जाम करना, जुलूस निकालना, भड़काऊ भाषण देकर समाज की शांति भंग कर देना और मौक़े पर हालात का जायज़ा लेने गए प्रशासनिक अधिकारियों से दुव्र्यवहार करना ऐसे काम हैं जो मुल्क के क़ानून के खि़लाफ़ भी हैं और इनसे आम आदमी बेहद परेशान हो जाता है और कई बार इनमें बेकसूरों की जान तक चली जाती है।
इस देश में क़ानून को क़ायम करने की ज़िम्मेदारी केवल सरकारी अफ़सरों की ही नहीं है बल्कि आम आदमी की भी है, हरेक नागरिक की है। 26 जनवरी के मौक़े पर इस बार हमें यही सोचना है और खुद को हरेक ऐसे काम से दूर रखना है जो कि मुल्क के क़ानून के खि़लाफ़ हो। मुल्क के हालात बनाने के लिए दूसरों के सुधरने की उम्मीद करने के बजाय आपको खुद के सुधार पर ध्यान देना होगा। इसी तरह अगर हरेक आदमी महज़ केवल एक आदमी को ही, यानि कि खुद अपने आप को ही सुधार ले तो हमारे पूरे मुल्क का सुधार हो जाएगा।
http://charchashalimanch.blogspot.com/2011/01/26th-january.html
Your services r really great and worthwhile. I salute your devotion, resources,effort , energy and valuable time. all u r great!
जवाब देंहटाएंहमने अभी अपनी पोस्ट पब्लिश की है लेकिन हमारी वाणी उसे ले क्यों नहीं रही है ?
जवाब देंहटाएं