दीपावली पर अनन्त शुभकामनाएँ !!!


हमारीवाणी 
उपयोगकर्ताओं 
को 
दीपावली 
पर 
अनन्त 
शुभकामनाएँ !!!
..... हमारी वाणी  परिवार  


तरक्की की सीढियों पर चढ़ते हुए हुई असुविधा के लिए खेद है




प्रिय ब्लॉग लेखक  एवं पाठक बंधुओं,


आपके प्रिय ब्लॉग संकलक हमारीवाणी को और भी अधिक सुविधा जनक बनाने एवं निरंतर चलाने हेतु इसे स्वयं के सर्वर पर स्थानांतरित करना अत्यंत आवश्यक था, जिसे तकनीकी टीम तथा मार्गदर्शक मंडल के प्रयासों से तथा आप सभी के सहयोग की उर्जा से पूर्ण: कर लिया गया है।. इसी दिशा में कुछ तकनीकी कार्यों के चलते हमारीवाणी  पिछले दिनों ताज़ा पोस्ट दिखा पाने में असमर्थ थी। परन्तु अब सभी फाइल्स स्थानांतरित हो गयी हैं तथा तकनीकी कार्य भी अधिकतर पूरा कर लिया गया है, इसलिए इसे दुबारा प्रारंभ कर दिया गया है। इस कारण आप सभी ब्लॉग लेखकों तथा पाठकों को हुई असुविधा के लिए हमें खेद है।

आप सभी के सहयोग के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद!

वर्षगाँठ पर सभी भारतीय ब्लागरों का हार्दिक अभिनन्दन


ज हमारीवाणी ब्लाग संकलक की पहली वर्षगाँठ है। पिछले वर्ष आज ही के दिन इस का जन्म हुआ था। इस बीच हिन्दी ब्लागजगत के दो प्रधान संकलक एक साथ लुप्त हो गए। इस के पीछे मुख्यतः तकनीकी कारण अधिक थे। हमारीवाणी टीम की कोशिश थी कि इस का संचालन इस प्रकार हो कि उस पर न तो अधिक आर्थिक भार पड़े और न ही तकनीकी परेशानियाँ सामने आएँ। संकलक संचालन का कोई अनुभव न होने पर भी टीम-हमारीवाणी इस संकलक को एक वर्ष तक निर्बाध रूप से चला सकी। यह उस की सफलता ही कही जाएगी।  टीम ने इस बीच प्रयत्न किया कि संकलक अपने सभी सदस्यों को समान सुविधा प्रदान करे। इस  प्रयास में  टींम-हमारीवाणी को कुछ सदस्यों की नाराजगी भी सहन करनी पड़ी। 

मारीवाणी इस अर्थ में अपने पूर्ववर्ती संकलकों से भिन्न है कि टीम हमारीवाणी इसे आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर  बनाना चाहती है।  जिस से न केवल इस की निरंतरता बनी रहे अपितु इस के उपयोगकर्ताओं के लिए इसे और अधिक उपयोगी बनाया जा सके।  इस लक्ष्य को हासिल कर सकना तब संभव है जब कि इस की सदस्य संख्या वर्तमान सदस्य संख्या की कम से कम दस गुनी हो जाए। इस के लिए यह आवश्यक है कि नए सदस्यों का प्रवेश लगातार होता रहे। प्रतिदिन इस पर सूचित होने वाले ब्लागों की संख्या में भी वृद्धि हो। यदि प्रति घंटे सूचित होने वाले ब्लागों की संख्या बीस तक हो जाए तो बहुत सी ऐसी समस्याएँ जो इस एक वर्ष में टीम-हमारीवाणी को देखनी पड़ीं वे स्वतः ही हल हो जाएंगी। 
टीम-हमारीवाणी एक बात बहुत शिद्दत के साथ महसूस करती है कि बहुत से वरिष्ठ ब्लागर अभी इस से नहीं जुड़ सके हैं।  उस का एक प्रमुख कारण था कि टीम को इस कार्य का अनुभव नहीं था। टीम यह भी चाहती थी कि यदि सूचित होने वाले ब्लागों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ेगी तो तकनीकी समस्याएँ कम से कम होंगी। इस कारण से टीम ने अपनी ओर से इस के लिए प्रयास भी नहीं किया। टीम को अनेक तकनीकी समस्याओं का सामना करना पडा़।  प्रसन्नता की बात यह है कि इन सभी समस्याओं पर टीम काबू पा सकी। अब जब पुरानी समस्याएँ लगभग हल की जा चुकी हैं तो टीम कुछ सुविधाएँ हमारीवाणी पर बढ़ाने के लिए प्रयासरत है।  इन सुविधाओं पर तकनीकी काम किया गया है। टीम-हमारीवाणी पहली वर्षगांठ पर इन सुविधाओं को आरंभ करना चाहती थी, लेकिन साथ ही वह यह भी चाहती है कि सुविधाएँ अपने उत्कृष्ठतम रूप में सामने आएँ। टीम प्रयासरत है कि हमारीवाणी के उपयोगकर्ताओं को शीघ्र ही ये सुविधाएँ हमारीवाणी से प्राप्त होने लगें। 

हली वर्षगाँठ पर टीम-हमारीवाणी का सभी ब्लागरों से यही आग्रह है कि वे इसका सदुपयोग करें। जो ब्लागर अभी तक सदस्यता ग्रहण नहीं कर सके हैं, वे सदस्य बनें। ब्लागरों की शुभकामनाएँ साथ रहीं तो हमारीवाणी के ब्लागर सदस्यों की संख्या में तेजी से वृद्धि होगी और यह ब्लागरों का सर्वप्रिय संकलक बन सकेगा। 

हमारीवाणी अपनी पहली वर्षगाँठ पर सभी भारतीय ब्लागरों का हार्दिक अभिनन्दन करता है !!!


सभी ब्लॉगर्स के लिए जरुरी सूचना!

मित्रों!
पिछले दिनों इस तरह की अनेक शिकायतें प्राप्त हुई थीं कि कुछ पोस्टें अनेक ब्लागों पर मामूली समय के अंतराल से अलग-अलग शीर्षकों से प्रकाशित की जाती हैं। कभी कभी तो उन के शीर्षक तक नहीं बदले जाते हैं। इस से संकलक के मुख पृष्ठ पर स्थान कम रहता है और कम से कम एक ब्लाग पोस्ट को मुखपृष्ठ से हटने का खामियाजा भुगतना पड़ता है। यह खामियाजा कभी न कभी सभी ब्लागरों को उठाना होता है। एक ही पोस्ट अनेक बार मुखपृष्ठ पर दिखाई देने से संकलक के पृष्ठ का सौंदर्य भी नष्ट होता है। कई बार एक ही ब्लागर ने अनेक ब्लाग बनाए होते हैं और वह उन सब या कुछ ब्लागों पर मामूली अंतराल के साथ पोस्टें डालता है। इस से संकलक के मुख पृष्ठ पर एक ही व्यक्ति का प्रोफाइल चित्र अनेक बार दिखाई देता है, इससे संकलक के मुख पृष्ठ के सौंदर्य में तो कमी लाता ही है साथ ही सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इससे अन्य उपयोगकर्ताओं के अधिकार का हनन भी होता है। यह भी शिकायत थी कि कुछ ब्लागों पर गाली-गलौच का प्रयोग होता है, यह प्रयोग कभी पोस्ट में तो कभी टिप्पणियों में होता है।
मारीवाणी संकलक ने इन शिकायतों के संबंध में कार्यवाही की और कुछ पोस्टों को, तो कुछ ब्लागों को हमारीवाणी से हटाना पड़ा। आज भी एक शिकायत प्राप्त हुई है कि एक ही पोस्ट शीर्षक बदल कर दो ब्लागों पर प्रकाशित की गई है। यह दोनों पोस्टें संकलकों पर एक के पीछे दूसरी दिखाई दे रही है। लेकिन उस के विरुद्ध कार्यवाही नहीं की गई है। हमारीवाणी फैसला लेने से पूर्व धर्म, लिंग और प्रभाव देखती है। शिकायतकर्ता ने अपनी पहचान प्रकट नहीं की है। लेकिन शिकायत सही पाई गई है और कार्यवाही करना आवश्यक समझा गया है।
मारीवाणी  ने सम्बन्धित ब्लागर को सूचित किया है कि उसे ऐसा नहीं करना चाहिए। उसे यह भी कहा गया है कि वह इस पर खेद व्यक्त करे और भविष्य में ऐसा न करने का वचन दे तो उस की दोनों में से एक पोस्ट को संकलक से हटा दिया जाएगा। लेकिन यदि वह भविष्य में ऐसा नहीं करने का वचन दे कर भी ऐसा करता है या खेद व्यक्त करने के साथ ऐसा वचन नहीं देता है। उस ब्लागर के दोनों ब्लागों को संकलक से हटा दिया जाएगा। वर्तमान में ऐसी शिकायतें कम हैं, इस कारण से हम ब्लागरों को सूचित कर के कार्यवाही कर रहे हैं। लेकिन शिकायतें अधिक होने पर ब्लागरों को सूचित करना संभव नहीं हो सकेगा और यह हो सकता है कि हमारीवाणी को ब्लागर को सूचित किए बिना ही यह कार्यवाही करनी पड़े।
शिकायतकर्ता ने अपनी पहचान छुपाई है, लेकिन हम जानते हैं कि यह शिकायत किस ने की है। यह तो उन्हों ने अपनी शिकायत में ही प्रकट किया है कि वे हमारीवाणी की कार्यवाही के भुक्तभोगी हैं। हमारा उन से कहना है कि हमारीवाणी संकलक किसी भी तरह का निर्णय लेने में किसी ब्लागर के साथ कोई भेदभाव नहीं करता, लेकिन इस पर अवश्य विचार करता है कि भारतीय ब्लागरी का हित किस में है, वह यह भी देखता है कि संकलक को ब्लागरों के बहुमत की अपेक्षाओं के अनुरूप विकसित किया जाए और उस का सौंदर्य बना रहे। 
र्तमान में हिन्दी ब्लागरी को अच्छे संकलकों की आवश्यकता है। हमारीवाणी ब्लागरों की आकांक्षाओं के अनुरूप उसे विकसित करने को प्रतिबद्ध है। सभी ब्लागरों को इस काम में हमारीवाणी संकलक को सहयोग करना चाहिए। सभी ब्लागरों से हमारा आग्रह है कि वे हमारीवाणी को सहयोग करें।

ब्लॉग पर शिकंजा


प्रतिष्ठित पत्रिका शुक्रवार में इस बार ब्लोगिंग को लेकर सरकार की मंशा पर ब्लागिंग कम्युनिटी की सुगबुगाहट पर लेख छपा है...इसमें कई ब्लोगर्स समेत साइबर क़ानून एक्सपर्ट और अंग्रेज़ी के एक ऐसे ब्लागर की भी राय छपी है जिनके ब्लाग पर हर महीने एक लाख से ज़्यादा विजिटर्स आते हैं...ज्यादा जानने के लिए अजय कुमार झा जी की इस पोस्ट पर चटका लगाइए...

प्रतिष्ठित पत्रिका शुक्रवार में प्रकाशित कुछ ब्लागर्स के विचार

कमेंट के ज़रिए अपनी राय भी अजय जी की पोस्ट पर ही व्यक्त कीजिएगा...ये पोस्ट सिर्फ सूचना के लिए है....

मार्गदर्शक मंडल में दो नए सदस्य

आपको यह जानकार हर्ष होगा कि मार्गदर्शक मंडल में दो नए सदस्य बनाए गए हैं. जिसमें से एक हैं दिल्ली की पत्रकार सुश्री गीताश्री (ब्लॉग: नुक्कड़) तथा दुसरे सदस्य हैं तकनीक के महारथी श्री एस. एम. मासूम (ब्लॉग: अमन का पैगाम). जहाँ एक ओर महिला मामलो के लिए एक महिला सदस्य की आवश्यकता महसूस की जा रही थी वहीँ तकनीकी तौर पर भी एक मज़बूत प्रतिभा की आवश्यकता थी. आशा है दोनों नए सदस्य ब्लॉग जगत की गरिमा को देखते हुए हमारीवाणी को ब्लॉग लेखकों की इच्छाओं के अनुरूप ढालने तथा सुचारू रूप से चलाने में मार्गदर्शक मंडल के माननीय प्रमुख, उप-प्रमुख तथा अन्य सदस्यों को अपना भरपूर सहयोग देंगे.


सहयोग के लिए आप सभी का धन्यवाद!

टीम हमारीवाणी

हमारीवाणी सर्वर में बदलाव

हमारीवाणी मित्रों! 

हमारीवाणी सर्वर में बदलाव चल रहा है, हमें खेद है कि इसके कारण आपको कुछ असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है. काम चल रहा है, उम्मीद है जल्द ही सारे कार्य पूर्ण कर लिए जाएँगे.

ब्लागरों की अपेक्षाओं पर विकसित हो 'हमारीवाणी'

मित्रों !
ब्रॉड-बैंड कनेक्शन मिलने के कुछ ही माह में मेरी भेंट हिन्दी ब्लाग जगत से हो गई थी। पहली नजर में यह ताजा और पुरानी साहित्यिक रचनाएँ पढ़ने के लिए एक अच्छा स्थान था। लेकिन कुछ ही दिनों में यह अहसास हो चला कि ब्लाग एक ऐसा माध्यम है जिस पर कुछ भी लिखा जा सकता है, और लिखा ही क्यों, यहाँ देखा-दिखाया और सुना-सुनाया भी जा सकता है। यहाँ कोई सम्पादकीय बाधा भी नहीं है। बस आप लिखिए, एक क्लिक कीजिए और आप का लिखा तुरंत लोगों के सामने होगा। अब लोगों की मर्जी कि वे आप के लिखे को देखते, लिखते, पढ़ते, सुनते हैं या नहीं। कुछ दिन ब्लाग पढते रहने के बाद मैं उन पर टिप्पणियाँ करने लगा। लोगों को लगा कि मैं लिख सकता हूँ, तो एक स्थापित ब्लागर की ओर से यह सुझाव भी आया कि मुझे अपना खुद का ब्लाग बनाना चाहिए। पहले तो मुझे भय हुआ, कि  मैं ब्लाग बना तो लूँ, पर वहाँ लिखूंगा क्या? जो लिखूंगा उस का कोई पाठक भी होगा या न होगा? मेरे ब्लाग को लोग कैसे जानेंगे? फिर ब्लाग बनाया, लेकिन कई दिन कुछ नहीं लिख सका। भय कुछ कम हुआ तो 'तीसरा खंबा' लिखने लगा। पहली पोस्ट पर कोई टिप्पणी नहीं थी। दूसरी पोस्ट पर टिप्पणी आई। पर पाठक इक्का-दुक्का ही रहे। उन्हीं स्थापित ब्लागर से पूछा, भाई पाठक कहाँ से आएंगे? तो जवाब मिला -आएंगे भी, और इधर उधर से जुटाने भी पड़ेंगे।  कैसे? यह उन्हों ने नहीं बताया।
न दिनों 'चिट्ठा जगत' और 'ब्लागवाणी' दोनों ही अपने चरम पर थे। दोनों में पंजीकरण कराया, वहाँ से पाठक आने लगे। तब यह समझ आ गया कि हिन्दी ही नहीं अपितु किसी भी भाषा की ब्लागीरी के लिए ब्लाग-संकलक आवश्यक तंत्र है। यूँ तो हिन्दी ब्लागों के लिए और भी संकलक थे। पर इन दोनों की बराबरी कोई नहीं कर पाया। फिर 'ब्लागवाणी' कोमा में चली गई। कोमा में इसलिए कि वह अभी हाल तक चालू थी, बस जहाँ रुकी थी, वहीं रुकी हुई थी। इस से यह आशा बनती थी कि वह कभी भी फिर से चालू हो सकती है।  कुछ दिनों पहले वह रुकी हुई 'ब्लागवाणी' गायब हो गई। इस से दो संभावनाएँ बनी हैं। एक तो ये कि 'ब्लागवाणी' हमेशा के लिए हम से विदा हो चुकी है, दूसरा यह कि वह नए रूप में लौटने के लिए कमर कस रही है। पिछले वर्ष के अंत में अचानक बिना किसी घोषणा के 'चिट्ठा-जगत' गायब हो गया। हिन्दी ब्लाग जगत में एक बड़ी रिक्तता महसूस हुई। पर ऐसा कभी नहीं होता कि जिस चीज की जरूरत हो वह अचानक सिरे से गायब हो जाए। मनुष्य एक ऐसा प्राणी है जो उस की जरूरत की चीजों को ईजाद कर लेता है। ऐसे में हमारीवाणी अस्तित्व में आई। कुछ ब्लागर ही थे जिन्हों ने ठान लिया था कि वे एक ब्लाग संकलक ले कर आएंगे, जो ब्लागरों का होगा। कुछ ही दिनों में लगने लगा कि हमारीवाणी ऐसा संकलक हो सकता है जो हिन्दी ब्लागरों के अभाव को दूर कर सकता है।
मारीवाणी  की एक विशेषता  है कि यहाँ पंजीकरण के बिना स्वयमेव कोई ब्लाग स्थान नहीं पा सकता था, दूसरी ये कि ब्लाग-पोस्ट प्रकाशित करने के बाद यहाँ तभी दिखाई दे सकती है जब कि ब्लाग पोस्ट पर लगे हमारी वाणी विजेट पर क्लिक किया जाए। मुझे नहीं लगता कि ये दोनों बातें किसी ब्लागर के लिए परेशानी का विषय हो सकती हैं। एक ब्लागर अपनी पोस्ट को प्रकाशित करने के उपरांत एक बार देखता अवश्य है। जब वह अपनी ब्लाग पोस्ट को पहली बार देख रहा हो, तभी वह हमारीवाणी विजेट पर क्लिक भी कर सकता है।  ये दोनों विशेषताएँ होने का कारण तकनीकी है। इस से हमारी वाणी को हमेशा यह सर्च नहीं करते रहनी पड़ती है कि किस ब्लाग पर नई पोस्ट प्रकाशित हुई है, इन विशेषताओं से हमारीवाणी के डाटा संग्रह पर वजन कम पड़ता है और अंतर्जाल पर ट्रेफिक की समस्या खड़ी नहीं होती। यह किसी भी एग्रीगेटर को लंबे समय तक अपना काम करने के लिए सुविधा प्रदान करती है। हमारीवाणी के साथ एक बात यह भी थी कि ब्लागरों को यह जानकारी नहीं हो रही थी कि आखिर इस संकलक का संचालन कैसे और कौन कर रहा है? वह कमी भी तब पूरी हो गई जब इस का एक घोषित सलाहकार मंडल सामने आ गया है। इस में सभी लोग हिन्दी ब्लाग जगत के  सुपरिचित और विश्वसनीय लोग हैं।  इस बीच हमारीवाणी एग्रीगेटर की 'हमारीवाणी ई-पत्रिका' भी सामने आ चुकी है। ब्लागपोस्टें पढ़ने के लिए इन दिनों मोबाइल फोन का उपयोग बढ़ रहा है, इसे देखते हुए अनेक ब्लागरों ने यह सुझाव दिया था कि इस का मोबाइल संस्करण भी होना चाहिए। 'हमारीवाणी'  ने तुरंत इस सुझाव पर काम किया और पिछले सप्ताह अपना मोबाइल संस्करण आरंभ कर दिया। इसे m.hamarivani.com अथवा  mobile.hamarivani.com पर देखा जा सकता है।
ब्लाग अभिव्यक्ति का एक माध्यम है, जहाँ कुछ भी अभिव्यक्त किया जा सकता है। लेकिन इस का अर्थ यह भी नहीं कि ब्लाग पर कुछ भी लिख दिया जाए। आखिर मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और वह समाज के आवश्यक नियमों का पालन करने पर ही सामाजिक कहा जा सकता है। मनुष्य विचारशील प्राणी है और उस के विचारों में विविधता है। ब्लागरी में भी अनेक के विचारों वाले मौजूद हैं, सभी अपने विचारों को प्रकट करना चाहते हैं। ब्लाग ने यही तो सुविधा दी है कि कोई भी बिना किसी संपादन के अपने विचारों को प्रकट कर सके।  आधुनिक जनतंत्र अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है। पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अर्थ यह भी नहीं कि वे कुछ भी लिखें, उन्हें मानव समाज की सामान्य मर्यादाओं का ख्याल तो रखना ही होगा। हम जानते हैं कि कौन सी बातें हैं जो सार्वजनिक रूप से कही जानी चाहिए और कौन सी हैं जो नहीं कही जानी चाहिए? सार्वजनिक रूप से किस भाषा का प्रयोग करना चाहिए और किस का नहीं? ये सब मर्यादाएँ सभी सभ्य समाजों में लगभग एक जैसी हैं। भाषा को जो रूप नित्य की बोलचाल में प्रचलित है, वह छापे में या अंतर्जाल पर नहीं हो सकता। इस का मुख्य कारण भी है कि जो हम बोलते हैं वह कहीं दर्ज नहीं होता। यदि उसे दर्ज होना हो तो हमारी भाषा पृथक होगी। हमें सार्वजनिक रूप से उस भाषा का प्रयोग करना चाहिए। जिसे के लिए हमें कहीं भी शर्म का सामना न करना पड़े।  हमारा यह गुण ब्लागरी में भी बना रहना चाहिए। कुछ लोग हैं, जो इस बात से सहमति नहीं रखते। लेकिन समाज इस की अनुमति नहीं देता। पिछले दिनों हम ने देखा कि  कुछ ब्लागों पर  यौनिक गालियों का प्रयोग हो रहा  है, चाहे वह ब्लागपोस्ट में हो या टिप्पणियों में। ब्लाग पोस्ट तो स्वयं ब्लागर ही लिखता है, जो कुछ वहाँ प्रकाशित होता है उस पर उस का नियंत्रण होता है। लेकिन ब्लाग स्वामी के पास यह सुविधा है कि टिप्पणियाँ रोकी या हटाई जा सकती हैं, तो इस तरह टिप्पणियों पर भी उस का नियंत्रण होता है। यदि कानून की दृष्टि से देखा जाए तो एक प्रकाशन माध्यम पर प्रकाशक का पूर्ण नियंत्रण होता है, उस पर जो कुछ भी प्रकाशित होता है उसे वह नियंत्रित कर सकता है। हमारीवाणी सलाहकार मंडल इस मामले में आरंभ से ही सर्वसम्मत था कि हमारीवाणी पर अपनी पोस्टों में आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग करने और टिप्पणियों में ऐसी भाषा के प्रयोग को अपने ब्लाग पर उपयोग करने की अनुमति देने वाले ब्लागों के लिए कोई स्थान नहीं होगा।
मेरी व्यक्तिगत मान्यता है कि लिखी-छपी, वाचिक और दृश्य प्रस्तुतियों में एक सामाजिक शुचिता होनी चाहिए। ऐसा कुछ भी नहीं हो सकता जो शुचिता रखते हुए अभिव्यक्त न किया जा सकता हो। हम शुचिता रखते हुए भी तगड़ी से तगड़ी बहस कर सकते हैं, कोई आवश्यकता नहीं कि हमें उस के लिए यौन अंगों  और क्रियाओं का स्मरण करना पडे़। तब हमें उन शब्दों की आवश्यकता ही क्या? कुछ ब्लागों पर इस शुचिता का अतिक्रमण होने लगा तो शिकायत मिलने पर हमारीवाणी सलाहकार मंडल द्वारा विचार करने पर यह बात सामने आई कि ब्लाग-स्वामी को स्वंतत्रता है कि वह अपने ब्लाग पर कुछ भी करे, और किसी को भी कुछ भी करने दे और वह चाहे तो इसे नियंत्रित करे। लेकिन यह स्वतंत्रता हमारीवाणी संकलक को भी  है कि वह इस तरह के ब्लागों की सदस्यता बनी रहने दे या समाप्त कर दे। हमारीवाणी ने अपनी इसी स्वतंत्रता का उपयोग करते हुए निर्णय लिया कि वह अपने यहाँ ऐसे ब्लागों को स्थान नहीं देगा जहाँ इस सामाजिक शुचिता को भंग किया जाता है। जब भी यह सूचना मिली कि किसी ब्लाग पर इस शुचिता को भंग किया गया है तो आग्रह किया गया कि वे अपने ब्लाग पर से इस सामग्री को हटा दें और भविष्य में अपने ब्लाग पर शुचिता के पालन का आश्वासन दें। जब इस आग्रह का कोई असर नहीं दिखाई दिया तो उन ब्लागों को हमारीवाणी से हटा दिया गया। यह हमारीवाणी का संकल्प है कि वह कम से कम अपने यहाँ इस शुचिता को बनाए रखेगी।
स के अतिरिक्त कुछ ब्लाग-स्वामी इस तरह की इच्छा रखते हैं कि किसी भी संकलक पर वे और उन की पोस्टें सब से ऊपर विशिष्ठता प्राप्त करती रहें। इस के लिए उन्हें करतब करने की जरूरत होती है। वे तकनीक को छका कर ऐसा करना चाहते हैं। उन का एक करतब पकड़ा जाता है तो वे दूसरा तलाश लेते हैं। लेकिन इस से अन्य ब्लागरों की पोस्टें पीछे चली जाती हैं, उन के साथ अन्याय होता है। हालांकि इस तरह अपने ही साथी ब्लागरों के साथ अन्याय करने वाले करतबी ब्लागीर अपने ब्लाग पर न्याय के रहनुमा बने रहते हैं। हमारीवाणी ने ऐसे करतबी ब्लाग स्वामियों के भी कुछ ब्लाग  अपने संकलक पर से कम किए हैं।
मारी-वाणी ब्लागरों का अपना संकलक है। शायद यह हिन्दी का पहला संकलक भी है जिस के संचालक अपने उपयोगकर्ताओं के साथ जीवन्त संपर्क बनाए रखने में विश्वास रखते हैं। वे  चाहते हैं कि उन्हें इस संकलक से जो अपेक्षाएँ/असुविधाएँ हैं, उन्हें वे खुल कर बताएँ। जिस से उन असुविधाओं को दूर किया जा सके और हमारीवाणी को उस के उपयोगकर्ताओं की आशा और अपेक्षाओं के अनुसार विकसित किया जा सके। यह प्रसन्नता की बात है कि हमारीवाणी को अल्पकाल में ही अनपेक्षित लोकप्रियता मिली है। प्रतिदिन नए ब्लाग इस से जुड़ रहे हैं। सदस्यों की संख्या 1050 से ऊपर जा चुकी है। लेकिन एक संकलक के लिए यह संख्या  बहुत कम है। आशा है हमारीवाणी की लोकप्रियता तेजी से बढ़ेगी और ब्लागरों का खुद का यह संकलक शीघ्र ही भारतीय ब्लागरों का सर्वप्रिय स्थान बनेगा।
धन्यवाद!
आपका - दिनेशराय द्विवेदी

अब हमारीवाणी का मोबाइल संस्करण

प्रिय  मित्रों!
स्नेहपूर्ण अभिवादन!
हुत समय से हमारीवाणी के मित्र और सदस्य यह सुझाव दे रहे थे कि हमारीवाणी संकलक का मोबाइल संस्करण भी होना चाहिए जिस से उस पर अपडेट होने वाली ब्लाग पोस्टों की जानकारी उन्हें मोबाइल पर प्राप्त हो सके। हम ने इस दिशा में प्रयत्न किया और सफल हुए। आप को यह जान कर अवश्य प्रसन्नता होगी  कि हमारीवाणी का मोबाइल संस्करण न केवल तैयार हो कर आरंभ हो चुका है, अपितु सफलता पूर्वक काम कर रहा है। हमारीवाणी के इस मोबाइल संस्करण को आप http://m.hamarivani.com अथवा http://mobile.hamarivani.com पर क्लिक कर के खोल सकते हैं।  
-दिनेशराय द्विवेदी

हमारीवाणी ई-पत्रिका का शुभारम्भ!

प्रिय हमारीवाणी मित्रों!


आपके अपार स्नेह एवं उत्साहवर्धन का ही यह नतीजा है कि हमारीवाणी हिंदी भाषा के प्रचार एवं प्रसार के संकल्प को आगे बढ़ाते हुए प्रिंट एवं ऑनलाइन पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम बढ़ा रहा है. हमारे इस प्रयास का ध्येय भी उभरते हुए हिंदी लेखकों के लेखन को सामने लाना ही है.

इस दिशा में पहल करते हुए आज 'हमारीवाणी' ई-पत्रिका का शुभारम्भ हो गया है, आज प्रकाशित होने वाले लेख हैं:

हमारीवाणी ई-पत्रिका को आप इस पते http://news.hamarivani.com/ पर देख पाएँगे. इसके लिए आप सभी सुधी लेखकों से निम्नलिखित विषयों पर लेख आमंत्रित हैं.


* समाज
* ब्लॉग-राग
* देश-दुनिया
* राजनीति
* साहित्य
* विचार-मंच
* मनोरंजन
* खेल-खिलाड़ी

हर एक लेख 500 से 1000 शब्दों के बीच ही होने चाहिए, तथा प्रेषक के द्वारा स्वत: लिखित होना चाहिए (हर एक लेख / रचना को इस घोषणा के साथ ही हमें प्रेषित करें कि लेख आपका अपना लिखा हुआ है). आप अपना लेख / रचना संपादक को news@hamarivani.com पर भेज सकते हैं.

संपादक मंडल के बारे में जानने के लिए यहाँ चटका (Click) लगाएं.

धन्यवाद!
टीम हमारीवाणी

नवोदित ब्लोगर्स की वाणी -सतीश सक्सेना

                          बेहद कम समय में, हमारीवाणी  की लोकप्रियता निश्चय ही चौंकाने वाली रही है  ! लाखों इंडियन ब्लोग्स के बीच हमारीवाणी का भारत में अलेक्सा रैंक ७१२५ है, तुलना करने के लिए, मेरे अपने ब्लॉग मेरे गीत    का रैंक  ४०७९७  है :-(
                          इस नवोदित एग्रीगेटर की बढती लोकप्रियता और शानदार रैंक, हिंदी ब्लॉग जगत के लिए एक सुखद खबर है कि ब्लोगवाणी और चिटठा जगत के बाद अंततः एक अच्छा एग्रीगेटर मिल गया है !
ब्लॉग एग्रीगेटर की उपयोगिता के बारे में मेरा यह मानना है कि ब्लॉग अग्रीगेटर, नए ब्लोगर के लिए बेहद आवश्यक रहता है ! एक अच्छे अग्रीगेटर के अभाव में नए ब्लोगर की पोस्ट पढ़ पाना या जानकारी लेना लगभग असंभव ही है ! पाठकों और उनकी प्रतिक्रियाओं के अभाव में बेहतरीन लेख़क भी दम तोड़ते नज़र आते हैं ! यह केवल ब्लॉग अग्रीगेटर ही हैं जिनकी वदौलत, कम समय में ही लोग एक नवोदित लेख़क को पहचानने में समर्थ हो जाते हैं ! जहाँ एक स्थापित ब्लोगर के लिए एग्रीगेटर का अधिक महत्व नहीं है वहीँ नए लेख़क के लिए यह सुविधा  रेगिस्तान में अचानक पानी मिलने के समान है !
                      ज्वलंत समस्या यह है कि एक एग्रीगेटर चलाने का खर्चा, अभी तक व्यवस्थापक व्यक्तिगत तौर पर उठाते रहे हैं ! मेरा यह सुझाव है कि  टीम हमारीवाणी एक स्वेच्छिक अनुदान लेने की परिपाटी शुरू करने की पहल करे ! मुझे विश्वास है कि इससे कम से कम इसकी स्थापना तथा देखरेख का खर्चा तो निकल ही आना चाहिए ! आशा है इस बारे में हमारीवाणी अपनी पॉलिसी की घोषणा शीघ्र करेगी !
                    अंत में, सबके साथ बिना भेदभाव काम करने की अपेक्षा के साथ ,हमारीवाणी  को लम्बी उम्र की शुभकामनायें देता हूँ !            
  

हमारीवाणी मार्गदर्शक मंडल

प्रिय हमारीवाणी मित्र जनों,


आप अब तक हमारीवाणी से परिचित हो ही गए होंगे। यदि नहीं तो टीम हमारीवाणी आप से शीघ्र अति शीघ्र संपर्क करने की इच्छा रखती है। हमारीवाणी से अपना ब्लॉग जोड़ने का तरीका बहुत आसान है। (अभी तक आप नहीं जुड़े तो यहां क्लिक करें।)

आपको यह जानकर हर्ष होगा कि हमारीवाणी को आप सब से मिल रहे प्यार से इसके हिट्स की संख्या दिन दूनी रात चौगुनी की रफ्तार से बढ़ रही है। ये आपके भरोसे का ही परिणाम है कि हमारीवाणी की इस माह की  ALEXA रैंकिंग विश्व में 81,000 तक पहुंच चुकी है और इसमें हर दिन सुधार हो रहा है।

टीम हमारीवाणी की पूरी कोशिश है कि सभी ब्लॉगरजन को समान मौके के आधार पर एक त्वरित और विश्वसनीय एग्रीगेटर की सेवाएं निर्बाध रूप से 24 घंटे मिलती रहे।

हमारीवाणी का एक अभिनव प्रयास ये भी है कि एग्रीगेटर को निर्विवाद रूप से चलाने के लिए ब्लॉगजगत से ही मार्गदर्शक-मंडल बनाया जाए। हमें ये बताते हुए अपार प्रसन्नता है कि प्रसिद्ध अधिवक्ता और सम्मानित वरिष्ठ ब्लॉगर श्री दिनेशराय द्विवेदी जी (अनवरत, तीसरा खंभा) ने मार्गदर्शक-मंडल का प्रमुख बनना स्वीकार कर लिया है। हमारे लिए एक और खुशी की बात है कि लोकप्रिय ब्लॉगर श्री समीर लाल समीर जी (उड़नतश्तरी), मार्गदर्शक-मंडल के उप-प्रमुख के तौर पर मार्गदर्शन देने के लिए तैयार हो गए हैं। पांच सदस्यीय मंडल के तीन अन्य सदस्य श्री सतीश सक्सेना जी (मेरे गीत), श्री खुशदीप सहगल जी (देशनामा), और श्री शाहनवाज़ जी (प्रेमरस) हैं। निकट भविष्य में आवश्यकता के अनुरूप मार्गदर्शक मंडल के सदस्यों की संख्या बढ़ाई जा सकती है।

हमारीवाणी की पूरी कोशिश रहेगी कि जहां तक संभव हो सके, एग्रीगेटर से विवादों का साया दूर ही रहे। फिर भी कभी ऐसी स्थिति आती है तो मार्गदर्शक मंडल का बहुमत से लिया फैसला ही अमल में लाया जाएगा। हमें आशा ही नहीं पूरा भरोसा है कि आप सब के प्यार और सहयोग से हमारीवाणी अपने नाम के अनुरूप सब की आवाज़ को सम्मान देते हुए हिंदी ब्लॉगिंग का सशक्त मंच बनेगा।



सहयोग के लिए धन्यवाद।